बच्चो को बिगड़ने से कैसे रोकें-छ्छुणीलाल सलूज़ा
आज पश्चिम की स्वच्छंद और भोगवादी संस्कृति के कारण हमारा परिवेश ही बदल गया है।आनद मानने, योजनाओं मे जीने और चकाचौंध-भरी दुनिया मे सुध-बुध बिसार देने की होड़ मची है। एसी जीवन सैली से सबसे पहले प्रभावित होते है, क्योंकि शिखने-समजने की कच्ची उम्र मे उन्हे परीलोक जेईसा कल्पनिक संसार आकर्षित कर रहा होता है।किशोरावस्था का यह
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