Kranti Gatha (Navalkatha) By Chandrabhan Rahi
क्रांति गाथा - चन्द्रभान 'राही'
आज़ादी मिलने के बाद नन्हे सिंह ठाकुर अपनी अधिकांश ज़मीन दलित भूमिहारो को दान कर देता है। उसकी यह सोच थी की यदि गाँवों की ज़मीन उसने भूमिहारो को नहीं दी तो साड़ी ज़मीन सरकार अधिगृहीत कर लगी । उसका यह निर्णय विजयटोला के दलितों के लिए वरदान सिद्ध हुआ । लेकिन नन्हे सिंह की मृत्यु के बाद लाखनसिंह के बेटे सोनूसिंह ने दलितों से ज़मीन वापस हड़पने की योजना बनाई । दोनों और से तनातनी चलती है और आखिर आमने सामने जंग का एलान होता है।
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