Stri (Beti Patni Mata) By Geeta Unadkat
स्त्री बेटी पत्नी माता - गीता उनड़कट
स्त्री शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक,सामाजिक,व्यवहारिक या फिर व्यवसायिक किसी भी तरह से पुरुष से ना तो काम है , ना ही समान है । आज २१वी सदी में तो स्त्री को एक स्वतंत्र व्यक्ति की तरह समाज में स्थान मिले इसी का महत्व है । स्त्री को सिर्फ बेटी,पत्नी और माता के रूप में देखने वाला हमारा समाज स्त्री को,उसके स्व-व्यक्तित्व का विकास करने का अवसर दे ।
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