तेनालीराम की प्रमुख कहानियां
प्रियंका सारस्वत
विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को अनोखी चीजों को जमा करने का बहुत शौक था। हर दरबारी उन्हें खुश करने के लिए ऐसी ही चीजों की खोज में लगे रहते थे ताकि राजा को खुश कर उनसे मोटी रकम वसूल सकें।
एक बार कृष्णदेव राय के दरबार में एक दरबारी ने एक मोर को लाल रंग में रंग कर पेश किया और कहा, 'महाराज इस लाल मोर को मैंने बहुत मुश्किल से मध्यप्रदेश के घने जंगलों से आपके लिए पकड़ा है।' राजा ने बहुत गौर से मोर को देखा। उन्होंने लाल मोर कहीं नहीं देखा था।राजा बहुत खुश हुए… उन्होंने कहा, 'वास्तव में आपने अद्भुत चीज लाई है। आप बताएं इस मोर को लाने में कितना खर्च पड़ा।' दरबारी अपनी प्रशंसा सुनकर आगे की चाल के बारे में सोचने लगा।
उसने कहा, 'मुझे इस मोर को खोजने में करीब 25 हजार रुपए खर्च करने पड़े।'
राजा ने 30 हजार रुपए के साथ 5 हजार पुरस्कार राशि की भी घोषणा की। राजा की घोषणा सुनकर एक दरबारी तेनाली
राजा ने 30 हजार रुपए के साथ 5 हजार पुरस्कार राशि की भी घोषणा की। राजा की घोषणा सुनकर एक दरबारी तेनालीराम की तरफ देखकर मुस्कराने लगा।तेनालीराम उसकी कुटिल मुस्कराहट देखकर समझ गए कि यह जरूर उस दरबारी की चाल है। वे जानते थे कि लाल रंग का मोर कहीं नहीं होता। बस फिर क्या था, तेनालीराम उस रंग विशेषज्ञ की तलाश में जुट गए।
दूसरे ही दिन उन्होंने उस चित्रकार को खोज निकाला। वे उसके पास 4 मोर लेकर गए और उन्हें रंगवाकर राजा के सामने पेश किया।
'महाराज हमारे दरबारी मित्र 25 हजार में केवल 1 मोर लेकर आए थे, पर मैं उतने में 4 लेकर आया हूं।'
वाकई मोर बहुत खूबसूरत थे। राजा ने तेनालीराम को 25 हजार रुपए देने की घोषणा की।
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