ज्योतिष-योग दीपिका - डॉ नारायणदत्त श्रीमाली
ज्योतिष का मूल आधार, ग्रह, उनकी गति और उनका पारस्परिक सम्बन्ध है। किन्ही भी दो या दो से अधिक ग्रहों के संयोग, सम्बन्ध तथा सहयोग से विशेष योग का निर्माण होता है, जो जीवन को दिव्य, उज्ज्वल या निम्न स्तर का बनाता है।
इस पुस्तक में ज्योतिष के अनेक प्रसिद्ध योग, उनकी परिभाषा, उनसे निष्पन्न फल एवं सम्बन्धित टिप्पणी देकर विषय को पूर्ण स्पष्ट कर दिया गया है। पुस्तक में उन सभी योगों का वर्णन है, जिनका समावेश 'ज्योतिष योग चन्द्रिका' में नहीं हो सका था।
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