व्यवसाय रत्नाकर - मृदुला त्रिवेदी
Vyavasay Ratnakar by Mrudula Trivedi
१. भाग्य भवन और व्यवसाय व्यवस्था
२. आत्माकारक ग्रह एवं व्यवसाय
३. व्यापार:आजीविका का आधार
४. व्यवसाय निर्धारण में द्वितीय भाव
५. षष्ठ भाव एवं नौकरी
६. व्यवसाय निर्धारण में अष्टम भाव का महत्व
७. प्रमुख ग्रहयोग
८. बाधक ग्रह-सिद्धांत एवं समाधान
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